मै हूं नहीं, पर हूं भी
खुद से ही लड़ रहा
मै क्यूं हु, कुछ क्यूं नही।
याद करता खुद को मै…
सही था तू वही
आज का ये दिन है,
मै हूं वो, जो मै हूं नहीं।
कैसे बनू उसके जैसा
जैसा मै हूं नही
पहाड़ की है चोटी वो
मै बहता नीचे कहीं।
रास्ते अलग है,
कुर्बानियां ही सही
मुझसे आगे तू जरूर है
मेरे आगे तेरा वजूद नहीं।
मै क्यूं हू, कुछ क्यूं नहीं
खुदसे पूछता, लड़ता रोज़ हु
तलाश है मुझे खुद कि
खुद को तराशता मैं रोज़ हु।
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